कत्ल-ए-अरमान कर दिया मैने
सफर कुछ आसान कर दिया मैने
क़फस-ए-दिल से निकालकर आखिर
एक हबीब पर एहसान कर दिया मैने
अब मेरी बज्म में कोइ रहे न रहे
उसके जाने का फ़रमान कर दिया मैने
मै तन्हा था, आरजू थी कोइ साथ चले
बेसबब उसको परेशान कर दिया मैने
खयालों में भी अब वो नुमायां नहीं होगा
नाम जिसके दिल-ओ-जान कर दिया मैने
No comments:
Post a Comment